अपनी तुलना किसी से मत करो
एक बार की बात है एक जंगल मे एक साधु बहुत दिनो से तपस्या कर रहे थे उसी जंगल मे एक कौआ रहता था वह रोज साधु के पास आता और पेड़ पर बैठकर उन्हे देखता और फिर चला जाता था कौआ की रोज की यही दिनचर्या बन गयी थी, एक दिन जब कौआ साधु के पास आया तो साधु ने कौआ से कहा, कि मै तुमको रोज देखता हूँ तुम रोज यहा आते हो और कुछ देर तक रहकर चले जाते हो। साधु ने कहा कौआ से कि क्या बात है, तुम बहुत परेशान लग रहे हो, साधु की बात सुनकर कौआ ने कहा कि हा मै परेशान हू।आपसे कुछ बात का समाधान चाहिए।
साधु ने कहा कि ठीक है बताओ अपनी बात कि क्या तुमको परेशानी है, कौआ ने कहा कि इस बात से दुखी हू कि, एक दिन मै एक तालाब के पास एक हंस को देखा कि वह सफेद व बहुत सुंदर है। उसे सब लोग देखते है हमे कोई नही देखता क्योकि मै काला हूँ, कॉश मै भी हंस के समान सफेद व सुंदर होता तो मै बहुत खुश होता, लोग मुझे भी देखते और पसंद करते। तब साधु ने कौए से कहा कि तुमको अगर पता करना है तो एक बार हंश के पास जाओ और जाकर पूछो कि क्या वह संतुष्ठ है। साधु की बात सुनकर कौआ हंस के पास चल दिया और वह हंस से बोला कि हंस भाई आप इतने सफेद सुंदर हो तथा धरती के सबसे सुंदर प्राणी हो । तब तो तुम हर एक दिन खुश रहते होगे और तुम अपनी सुधरता पर बहुत ही संतुष्टी होती होगी। तब हंस ने मायुस होकर बोला, कि हॉ मै अपने जीवन मे बहुत खुश और संतुष्ठ था जब तक पता नही था कि तोता हमसे सुदर प्राणी है। हंस ने कहा कि हमारे शरीर का रंग तो एक है लेकिन तोते का रंग तो दो-दो है मुझे लगता है कि सबसे सुंदर और अपने जीवन मे सबसे संतुष्ठ प्राणी वही है।
तब कौवे ने सोचा कि आज मै सच जानकर रहूंगा ।
कौआ ने तोते के पास गया और बोला कि तोता भाई तुम्हारा शरीर का तो दो-दो रंग है तुम बहुत खुश होगे कि हमारे सिवा कोई नही है सबसे सुंदर। तोते ने कहा कि मै सुंदर तब तक था जब तक मोर को नही देखा था। अब मुझे लगता है कि सबसे सुंदर वही होगा। तब कौवे ने सच्चाई जानने के लिए मोर के पास गया और बोला, तुम धरती के सबसे सुंदर प्राणी हो तुम्हारा शरीर बहुत से रंगों से मिलकर बना है। लोग तुम्हे बहुत पसंद करते है,तुम्हे देखने के लिए लोगो की भीड़ इकट्ठा होती है।क्या तुम खुश हो ,, तब मोर ने कौवे से कहॉ कि हॉ मै सुंदर हूँ तभी तो अकेला हूँ। मेरे सुंदरता के कारण ही लोग मुझे चिड़िया घर मे कैद कर के रखे हुए है, तुम्हे चिड़िया घर मे कोई नही रखता इसलिए तुम आजाद हो, तुम कही भी आ -जा सकते हो अपने मन से घूम फिर सकते हो इसलिए तुम्हे खुश होना चाहिए और संतुष्ठ भी होना चाहिए । तब कौवे को अपनी अहमियत का पता चला वह हैरान रह गया कि उसके जीवन की अहमियत किसी और के द्वारा पता चला है।
तब कौआ खुश होकर वापस जंगल मे साधु के पास गया और उनसे बोला कि अब मुझे अपने जीवन की इस सच्चाई का पता चला है, कि संसार मे किसी भी प्राणी को अपनी तुलना किसी दुसरो से नही करनी चाहिए।इसी से हम अपनी जीवन की छोटी-छोटी खुशिया खो देते है। क्योकि जीवन मे हमारी क्या अहमियत है हम समझ नही पाते। इसीलिए हमे कैसी भी स्थिती मे अपने आप मे संतुष्ठ रहना चाहिए।