उत्तराखंड को "देवभूमि" के नाम से भी जाना जाता है. इस राज्य मे हिंदु धर्म के पवित्र और भारत की सबसे बडी़ नदिया गंगा व यमुना के उद्गम स्थल है इनके तटो पर बसे वैदिक संस्कृति के बहुत से पवित्र तीर्थ स्थान है।ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड मे ही माता अनुसुईया ने ब्रह्मा,विष्ण व महेश को बालक का रुप दिया था।
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उत्तराखंड का प्रसिद्ध हनोल मंदिर(uttrakhand ka prasidh hanol mandir)
महासु देवता का मंदिर ( हनोल मंदिर ) देहरादुन से 190 किमी मसुरी से लगभग 156 किमी दुर है यह मंदिर चकराता के पास हनोल गांव मे टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है.
इस मंदिर से लोगो की बहुत श्रद्धा है यहा पर बहुत से लोग सच्चे दिल से अपनी मनोकामनाए लेकर आते है और महसु देवता के आशिर्वाद से उनकी मुराद पूरी होती है .इस मंदिर के गर्भगृह मे भक्तो का प्रवेश मना है यहा पर केवल मंदिर के पुजारी को जाने की अनुमती है.
मंदिर के गर्भगृह मे एक रहस्यमृयी जलधारा
हनोल मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि मंदिर के गर्भगृह मे एक रहस्यमयी जलधारा निकलती है । आखिर में मंदिर के गर्भगृह से जल-धारा किस स्थान से आती रहती है और उसका निकास किस तरफ है जो कि अभी तक रहस्य है.यही पवित्र जल श्रद्धालुओ को प्रसाद के रूप मे भेंट किया जाता है। और इसके अलवायहां पर एक और चमत्कार देखने को मिलता है वह यह है कि , मंदिर मे एक ज्योति जलती रहती है ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र ज्योति दशको से जलती आ रही है। तथा यह भी सुनने मे आता है कि पांडव लाक्षागृह से बाहर निकलकर यही माता कुंती के साथ आए थे।
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महासु देवता का मंदिर केवल एक देवता का मंदिर नही है.बल्कि यह चार महाशु देवताओ का संयुक्त मंदिर है माना जाता है कि चारो महाशु भाई थे जिनका नाम बासिक महासू,पबासिक महासू,बूठिया महासू(बौठा महासू) तथा चालदा महासू था.ये चारो भाई शिव के रुप माने जाते है। लोक मान्यता अनुसार इस मंदिर को न्ययालय का रुप दिया गया है तथा भगवान महासू को न्याय का देवता माना गया है।
इस मंदिर को नवीं शताब्दी मे बनाया गया था .ऐसा विख्यात है कि महासू देवता ने हैनोल का मंदिर किसी शर्त पर जीता था .अब यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के संरछण मे है।महासु मंदिर को श्रद्धालुओ के लिए तीर्थ स्थान के रुप मे जाना जाता है।
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FAQ : महासु देवता का मंदिर ( Mahashu Temple )
हनोल मंदिर किसने बनवाया था?
हनोल महासू देवता का मंदिर का निर्माण हूण वंश के पंडित मिहिणकुल हूण के द्वारा कराया गया था ।
हनोल का प्राचीन नाम क्या है?
हनोल का प्राचीन नाम चकरपुर था ।
महासू देवता की पूजा कहाँ होती है ?
उत्तराखंड के देहरादुन में स्थित हैनोल गांव के हैनोल महासू मंदिर में महासू देवता की पूजा होती है ।
चलदा महाराज कौन है?
चलदा महाराज चारो महासू भाइयों के सबसे छोटे भाई थे ।
महासू देवता किसका अवतार है?
महासू देवता को भगवान शिव का रुप माना जाता है ।