भारत में बहुत से ऐसे प्राचीन हिंन्दु मंदिर हैं जो पुरे विश्व में विख्यात हैं लेकिन भारत के अलावा और कई अन्य देश हैं जहां पर हिंदु संस्कृति का छाप , खूबसूरत मंदिर में देखने को मिलता है ऐसे ही एक देश है इंडोनेशिया जहां की खूबसूरती लोगो को अपनी ओर आकर्षित करती है इस लिए यह देश दुनिया के सबसे खूबसूरत जगह में से एक है ।
हलॉकि इंडोनेशिया एक मुश्लिम बहुल्य देश है फिर भी हिंदु संस्कृति की झलक यहां के प्रसिद्ध हिंदु मंदिर में दिखाई देती है ।
इंडोनेशिया में हिंदु संस्कृति से जुड़े हुए बहुत से खूबसूरत मंदिर देखने को मिलते हैं जिनका अलग-अलग अपना रहस्य और इतिहास है ।
इंडोनेशिया के जावा में Prambanan Temple ( प्रम्बानन मंदिर ) है जो प्राचीन शिव मंदिर ( Ancient Temple ) के रुप में जाना जाता है और साथ में यहां पर एक देवी की मूर्ती विराजमान है जिन्हे लोग रोरो जोंग्गरंग ( Roro Jonggrang ) नाम से पूजा करते हैं जिनकी दिव्यता और भव्यता पुरे संसार में जानी जाती है इस मूर्ती की कहानी बहुत पुरानी और रोमांच से भरी हुई है ।
इसलिए आज हम यहा के प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर ( Ancient Temple ) के बारे में जानेंगे की कैसे एक राजकुमारी , मूर्ती बन गई जिसको लोग देवी के रुप में यहां पुजा करते हैं जिन्हे मां भगवती का रुप भी माना जाता है ।
प्राचीन शिव मंदिर की कहानी
इंडोनेशिया के जावा में स्थित प्रम्बानन मंदिर से संबंधित एक पौराणिक कथा सुनने को मिलती है जिसकी कहानी रहस्यो से भरी हुई है ।
कहा जाता है कि आज से लगभग 10 शताब्दी पूर्व यहा पर प्रबुबका सुर नाम का राजा शासन करता था जिसकी एक खूबसूरत पूत्री रो रो जोंग्गारंग थी जिसकी सुंदरता परियों के समान थी । प्रबुबका के प्रजा को मालूम था कि हमारे राजा की एक पुत्री है लेकिन , वहां के लोगो ने राजकुमारी को कभी देखा नही था क्योंकि रो रो जोंग्गारंग अपने राजमहल से बाहर बहुत कम ही निकलती थी ।
एक दिन राजकुमारी रो रो जोंग्गारंग को अपने राज्य में घुमने का मन किया और वह अपने पिता से राज्य घुमने का आग्रह स्वीकार करा लिया । जिसके बाद राजकुमारी ने अपनी सहेलियों के साथ राज्य भ्रमण पर निकल पड़ी । जब वह अपने राज्य में घूम रही थी तो उनकी दृष्टी वहा से कुछ दुर रखी सुंदर मूर्तीयो पर पड़ी जिसकी खूबसूरती देखकर राजकुमारी बहुत खुश हुई और मूर्ती के पास जाकर उसे निहारती हुई अपने सहेलियों से बोली की आखिर इतनी सुंदर और सजीव जैसा प्रतीत होने वाली मूर्ती कौन बना सकता है जैसा लग रहा है कि इन मूर्तीयों मे जान आ गई है ये हमसे बाते कर सकती है , या चल फिर सकती हैं । Ancient Temple
राजकुमारी एक-एक कर सभी मुर्तीयो को पास जाकर देख रही थी , तभी उस मूर्तीकार की नजर जिसका नाम बोंदोवोसो था जिसने सभी मूर्तीयों को बनाया था राजकुमारी पर पड़ी , जिन्हे देखकर वह उनकी सुंदरता से बहुत प्रभावित और आकर्षित हो गया और उस मूर्तीकार के अंदर रो रो जोंग्गारंग की खूबसूरती घर कर गई जिस कारण वह राजकुमारी से मन ही मन प्रेम करने लगा ।
बोंदोवोसो राजकुमारी की खूबसूरती का इतना दिवाना हो गया कि वह मन ही मन यह निर्णय ले लिया कि वह इसी राजकुमारी से विवाह करेगा ।
मूर्तीकार , प्रबुबका सुर की बेटी से विवाह तो करना चाहता था लेकिन वह सोचता था की विवाह करे भी तो कैसे करें , कहां वह राजा की राजकुमारी और हम मूर्ती बनाने वाले छोटे से कलाकार हैं , क्या यह सही है क्या राजकुमारी मेरे जैसे एक तुच्छ मूर्तीकार से शादी करेंगी । बहुत से सवाल बोंदोवोसो के मन में चल रहा था इसलिए वह हिम्मत नही जुटा पा रहा था कि राजकुमारी से बात कैसे करे।
ऐसे ही राजकुमारी से विवाह करने के बारे में सोचते-सोचते बोंदोवोसो को बहुत दिन बीत गए , लेकिन एक दिन उसने हिम्मत जुटाकर राजकुमारी से विवाह का प्रस्ताव लेकर राजमहल की ओर चल दिया ।
जब मूर्तीकार रो रो जोंग्गारंग से विवाह के उद्देश्य से राजा के महल गया और महल के बाहर खड़ा होकर दरबारियों से बोला की मै राजकुमारी रो रो जोंग्गारंग से मिलना चाहता हूँ । कृप्या , मेरा संदेश राजकुमारी के पास पहुचा दिया जाए । दरबारियो ने बोंदोवोसो के संदेश को राजकुमारी के पास पहुचाया और उनसे बोला कि बाहर एक आदमी आया है वह आपसे मिलने की इच्छा प्रकट कर रहा है ।
राजकुमारी ने दरबारी की बात सुनकर उस युवक से मिलने से इंकार कर दिया जिसके बाद दरबारी ने महल के बाहर आकर मूर्तीकार से राजकुमारी के ना मिलने की पूरी बात बताई । Ancient Temple
राजकुमारी का ना मिलने का जबाव जब बोंदोवोसो ने पहरेदार के मुख से सुना तो वह थोड़ा मायुश हो गया और वह पहरेदार को एक मूर्ती दिया जो रो रो जोंग्गारंग की एकदम हमशक्ल लग रही थी जिसे उसने अपने हाथो से रात भर जग कर बनाया था । और उसने दरबारी से यह कहा की आप इस मूर्ती को ले जाकर राजकुमारी को भेंट करें और यह बताए कि वही आदमी है जो बाहर खड़ा होकर आपसे मिलना चाहता था , उसने ही आपकी यह प्रतिमा बनाई है ।
जब मूर्ती लेकर पहरेदार महल के अंदर जाकर राजकुमारी को देता हैं तो राजकुमारी अपनी हूबहू शक्ल की मूर्ती देखकर आश्चर्य चकित हो जाती है और उस कलाकार को तुरंत राजमहल में बुलाने का आदेश देती है ।
जब मूर्तीकार को राजसभा में बुलाया जाता है तो वह देखता है कि वहां पर राजा , राजकुमारी तथा राज्य के सभी लोग अपने आसन पर विराजमान थे उसका मन बहुत बिचलित था कि कैसे अपनी मन की बात यहां पर बताएं ।
तभी राजा ने उस कलाकार से बोला कि तुमने राजकुमारी की इतनी सुंदर प्रतिमा बनाई है हम सभी तुम्हारी कलाकारी से बहुत प्रसन्न हैं ।
इसलिए तुम बताओ की तुम क्या चाहते हो और तुम राजकुमारी से क्यों मिलना चाहते थे , राजा की बात सुनकर मूर्तीकार ने कहा कि हे महाराज , मै आपकी पुत्री से विवाह करना चाहता हूँ बस इसी प्रस्ताव को लेकर मैं यहां आया था और राजकुमारी से मिलना चाहता था ।
जब दैत्य राज प्रबुबका ने मूर्तीकार के विवाह-प्रस्ताव की बात सुनी तो वह क्रोधित हो गया और तुरंत अपने आशन से खड़ा होकर अपने म्यान से तलवार निकाल लिया और उसके बाद जो कुछ मूर्तीकार के साथ घटित होने वाला था उससे पहले राजकुमारी ने अपने पिता के क्रोध को भाप लिया और अपने पिता को बीच में रोक दी और बोली कि , अगर तुम मुझसे विवाह करना चाहते हो तो तुम मुझे अपने हाथों द्वारा बनाई गई मेरी 1000 मूर्ती मुझे देना होगा और राजकुमारी ने शर्त यह भी रखी की तुमको पूरी मूर्ती सिर्फ एक दीन में ही बनानी है । यदि तुम ऐसा कर देते हो तो मै तुमसे विवाह करूंगी । Ancient Temple
राजकुमारी की एक हजार मूर्ती बनाने की शर्त को बोंदोवोसो ने स्वीकार कर लिया , और घर जाकर मूर्ती बनाने में लग गया । मूर्तीकार ने लगातार मेहनत करके 999 मूर्तीयों को बना लिया था उससे पहले राजकुमारी रोरो को जब लगा की बोंदोवोसो 1000 मूर्ती बना लेगा तो शर्त के अनुसार मुझे उससे विवाह करना पड़ेगा । इसकारण राजकुमारी ने मूर्तीकार के साथ एक छल किया , जो यह था कि राजकुमारी ने राज्य के पुरे चावल के खेतो में आग लगवा दी , जिससे ऐसा प्रतीत होने लगा की सूर्योदय हो गया है और मूर्तीकार ने 999 मूर्ती बना ली है और वह इस बात से एक मूर्ती और ना बनाए कि दीन हो गया हैं ।
ठीक ऐसे ही मूर्तीकार ने सोचा , उसने जब अंतिम मूर्ती बनाने गया तो उसको लगा कि दिन हो गया है और वह पूरी मूर्ती नही बना पाया और समझने लगा कि उसकी हार हो गई है ।
ऐसे ही बहुत दिन बीत गए , लेकिन एक दीन जब बोंदोवोसो को राजकुमारी को छल के बारे में पता चला तो वह बहुत ही क्रोधित हो गया और राजकुमारी के द्वारा उसे धोखा दिए जाने के कारण वह तुरंत राजमहल पहुकर राजकुमारी रोरो को श्राप दिया कि मैने 999 मूर्ती को बना लिया था और समय रहते अंतिम मूर्ती भी बना लेता , अगर आपने यह छल नही किया होता तो मै हजार मूर्ती बना लेता , इसलिए अंतिम मूर्ती तुम बन जाओ । मूर्तीकार के इस श्राप के कारण एक जीवित लड़की जिनका नाम रो रो जोंग्गारंग था एक मूर्ती बन गई ।
इसी मूर्ती को इंडोनेशिया में माँ दुर्गा के रुप में पुजा जाता है तथा राजकुमारी रो रो जोंग्गारंग की इसी मूर्ती को यहा Prambanan Temple ( प्रम्बानन मंदिर ) के नाम से जाना जाता है जो इंडोनेशिया का बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर ( Ancient Temple ) है ।
यहां के लोगो के लिए यह दैविय मंदिर प्रमुख रुप से आस्था का केंद्र है जिसको शिव मंदिर के साथ-साथ देवी रो रो जोंग्गारंग की मूर्ती भी विराजमान है ।
इंडोनेशिया के यह विश्व विख्यात मंदिर में तीन और देवताओ के मंदिर विराजमान हैं जिसमें भगवान ब्रह्मा , विष्णु और महेश के साथ-साथ उनके सवारी को भी भगवान की मूर्ती के सामने आसिन किया गया है
इस मंदिर परिसर में और भी भगवान की मूर्तियां देखने को मिलती है जो लोगो के लिए आस्था का केंद्र है ।
इस प्राचीन मंदिर ( Ancient Temple ) की दिवारो को देखने से यह पता चलता है कि इन दिवारो पर रामायण महाकाव्य के चित्रो द्वारा डिजाइन किया गया है , तथा साथ में मंदिर की दिवारो पर रामायण की कथाए भी लिखी हुई दिखाई देती है ।
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