केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है : देवो की नगरी से विख्यात उत्तराखंड में बहुत से प्राचीन हिंदु मंदिर है जिनका इतिहास सैकड़ो साल पुराना है । ऐसे ही है एक उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर ( Kedarnath Temple ) जो , 12 ज्योतिर्लिंग का एक भाग है जिसे चार धाम में से एक माना जाता है । हिमालय की गोद में समाया यह मंदिर , बर्फ की उंची पहाड़ियो में बसा यह मंदिर भगवान शिव ( Lord Shiva ) को समर्पित है ।
यह मंदिर साल में छ: महीना के लिए श्रद्धालुओ के लिए खोला जाता है और छ: महीना के लिए बर्फ के कारण मंदिर का कपाट बंद कर दिया जाता है । भगवान शिव के दर्शन हेतु प्रत्येक साल लाखो श्रद्धालू यहां आते है और भोले बाबा का दर्शन करते हैं और आशिर्वाद प्राप्त करते हैं । ऐसे माना जाता है कि यह मंदिर बहुत साल पुराना है जिसके पीछे बहुत से तर्क है जिसके बारे में हम नीचे विस्तार से पढेंगे । तो आईए जानते हैं कि केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है इसलिए इस पोस्ट में शुरु से लेकर अंत तक बने रहे ।
केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है
धार्मिक नगरी उत्राखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर अत्यंत प्राचीन है यह कितना साल पुराना है इसका स्पष्टीकरण का कोई ठोस प्रमाण नही है
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून के द्वारा मंदिर के चट्टानो पर लिग्नोमैटिक डेटिंग का परीक्षण किया गया जिसकी रिपोर्ट के अनुसार यह मंदिर लगभग लगभग 400 सालो तक बर्फ में दबी रही है जिसकी आयु का स्पष्ट अनुमान नही लगाया जा सकता है । फिर भी यह लगभग 1000-1200 साल पुराना मंदिर ( old temple ) है जिनका निर्माण उस समय कैसे हुआ और उस जगह पर कैसे हुआ यह सोचना केवल कल्पना मात्र है । क्योंकि जहां पर ठंड के मौसम में बर्फ की उँची-उँची पहाड़िया हो और वर्षा के समय में भारी मात्रा में तेज बहता हुआ पानी हो जहां पर उस समय आने-जाने का और निर्माण कार्य करने का साधन - संसाधन भी नही था फिर भी ऐसे में इतना ठोस मंदिर का निर्माण कैसे और कौन करा सकते हैं । यह कोई दैविय चमत्कार ( Divine miracle ) से कम नही है । फिर भी इस मंदिर का निर्माण कैसा हुआ और कब हुआ और किसने कराया इस पर आगे की जानकारी हम नीचे पढेंगे ।
केदारनाथ मंदिर के निर्माण और रहस्य
उत्तराखंड के चार धाम में से एक कहे जाने वाले केदारनाथ मंदिर के निर्माण की कई मान्यताएं सामने आती है ।केदारनाथ में नर-नरायण तपस्या करते थे
तीनो ओर पहाड़ो से घिरा केदारनाथ मंदिर के बारे में शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता के अनुसार भगवान विष्णु नर-नरायण अवतार में बदरीवन में शिवलींग बनाकर तपस्या करते थे जिनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे कुछ वरदान मांगने को कहां । तभी नर-नरायण ने वरदान स्वरुप शिव जी को यहां पर हमेशा स्थापित रहने का वरदान मांगा । उसी समय से यह मंदिर केदारनाथ के नाम से विख्यात हुआ ।
केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवो ने कराया था
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार केदारनाथ मंदिर का संबंध महाभारत काल ( (Mahabharata era) से जुड़ा हुआ है । जब पांडव महाभारत का युद्ध समाप्त करके अपने ही भाई कौरवो की हत्या की ग्लानि से मुक्त होने के लिए भगवान शिव से मिलने की खोज में निकल पड़े । ऐसा कहा जाता है कि भोलेनाथ पांडवो से मिलना नही चाहते थे इसलिए उन्होने काशी में एक अनोखे बैल के रुप में परिवर्तित हो गए । पांडवों ने शिवजी की खोज करते-करते काशी तक गए लेकिन भगवान शिव वहां से केदारनाथ चले गए वही पर भीम ने शिव को पहचान लिया जिससे प्रसन्न होकर शिव जीने उन्हे वही दर्शन दिए थे तभी से यह स्थान केदारनाथ धाम से दुनिया में विख्यात हुआ ।
केदारनाथ मदिर का जिर्णोद्धार गुरु शंकराचार्य ने कराया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा जाता है कि केदारनाथ स्वयंभू शिवलिंग का निर्माण पांडवो के राजा जनमेजय ने कराया था । और 8वीं-9वीं सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ( (Adi Guru Shankaracharya) द्वारा इसका जिर्णोद्धार कराया गया था ।
केदारनाथ मंदिर के निर्माण और आयु के संबंध में कई पौराणिक कथाएं और इतिहास प्रचलित है । इसलिए केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है इसका स्पष्ट प्रमाण किसी को ज्ञात नही है ।
FAQ : केदारनाथ मंदिर कितने साल पुराना है
केदारनाथ में बाढ़ कब आई थी ?
2013 में
केदारनाथ कब जाना चाहिए ?
आप केदारनाथ मंदिर दर्शन हेतु अप्रैल , मई और जून महीने में जा सकते हैं ।
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दूरी कितनी है ?
केदारनाथ से बद्रीनाथ की दुरी 230 किमी है ( सड़क मार्ग से )
केदारनाथ की ऊंचाई कितनी है ?
समुंद्र तल से केदारनाथ की ऊंचाई 3584 मीटर है ।
केदारनाथ पर कितना पैदल यात्रा करना पड़ता है ।
गौरीकुंड से केदारनाथ पहुचने के लिए 16 किमी पैदल यात्रा करना पड़ता है ।